प्रातः जागरण क्यों ?

यद्यपि उपरोक्त प्रश्न का वास्तविक उत्तर तो उसका आचरण करने पर ही मिल सकता है, क्योकि किसी भी शंका का समाधान उसके उत्तर में प्रतिपादित तथ्यों की अनुभूति से ही संभव है यह जानना आवश्यक है की यह समय शारीरिक -स्वास्थ, बुद्धि आत्मा मन आदि सभी की दृस्टि से निद्रा छोड़कर जग जाने के लिए परम उपयुक्त है। इस समय प्रकृति मुक्तहस्त से स्वास्थ, बुद्धि, मेधा,प्रसन्नता सौंदर्य ,की अपार राशि लुटाती है। यजुर्वेद के अनुसार ………..

वर्ण कीर्ति मतिं लक्ष्मी स्वास्थ्यमायुश्च विन्दति।
ब्रह्मो मुहूर्ते संजाग्रच्छिनयम वा पंकजम यथा।।

अर्थात ब्रह्मा मुहूर्त में उठने से पुरुष को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य ,आयु,आदि की प्राप्ति होती है, उसका शरीर कमल के सामान सुन्दर। हो जाता है

उसके अतिरिक्त सम्पूर्ण रात्रि के पश्चात प्रातः जब सूर्य भगवन सूर्य उदय होने वाले होते है तो उनका चैतन्य मय तेज आकाश मार्ग द्वारा विस्तृत होने लगता है।

सुबह उठने के वैज्ञानिकता :-

आधुनिक विज्ञानं के अनुसार समस्त ब्रह्माण्ड में व्याप्त वायु का विभाग सामान्यतः निम्न क्रम में किया जाता है ,

आक्सीजन (प्राणप्रद वायु ) – २१ प्रतिशत
कार्बन डाई ऑक्साइड – ६ प्रतिशत
नाइट्रोजन -७३ प्रतिशत

विज्ञानं के अनुसार पूरे दिन वायु का यही क्रम रहता है, किन्तु प्रातः और शायं काल जब संधि कल होता है इसा क्रम में कुछ अमूलभुत बदलाव होते है जैसे शायंकाल में सूर्य के अस्त होने पर आक्सीजन अपने स्वाभाविक स्तर से मंद पड़जाती है और मनुष्य की प्राण शक्ति क्षीण हो जाती है जिससे उन्हें विश्राम की आवश्यकता महसूस होने लगती है और इसी प्रकार सूर्योदय के वक़्त आक्सीजन की मात्रा में वृद्धि होती है और वायु निर्मल होती है इसी लिए कहा गया है की स्वस्थ और दीर्घ जीवन के लिए जल्दी सोना और जल्दी उठना अच्छा माना गया है

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