मोरारी बापू का जन्म 25 सितंबर 1946 को महुवा, गुजरात के पास तलगाजरडा गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम प्रभुदास बापू हरियाणी और माता का नाम सावित्री बेन, मोरारी बापू के पिता की 8 संतान (भाई – 6, बहन – 2) थी जिसमे से बापू एक है। मोरारी बापू गुजराती और हिंदी दोनों में वार्ता करते है। उन्होंने सर्वप्रथम रामचरितमानस पर प्रवचन दिया था। कहा जाता है की बचपन में मुरारी बापू तुलसी के बीजों की माला बनाया करते थे। इन्होंने अपना अधिकतर जीवन अपने दादा और दादी के साथ बिताया था। दादी अमृत माँ से लोककथाएं और दादा त्रिभोवंदासजी से रामचरितमानस (चौपाईयां) सुना करते थे।

मुरारी बापू आज देश और दुनिया में रामचरितमानस की कथा करते है लोग इनसे काफी प्रभावित भी होते है इन्होने लोगों के बीच भगवान राम के जीवन को दर्शाने का काम किया है और करते आ रहे है। यह एक महान कथावाचक भी है भारत ही नहीं वरन इनका नाम पूरी दुनिया में है। वर्ष 1960 में 14 वर्ष की उम्र में बापू ने पहली बार राम कथा का वाचन तालगरजदा स्थित ‘रामजी मंदिर’ में किया था। जिसके चलते वर्ष 1976 में, उन्होंने नैरोबी में कथावाचन का काम किया।

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