अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (1 सितम्बर 1896 – 14 नवम्बर 1977) जिन्हें स्वामी श्रील भक्तिवेदांत प्रभुपाद के नाम से भी जाना जाता है,सनातन हिन्दू धर्म के एक प्रसिद्ध गौडीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। … इन्होने इस्कॉन (ISKCON) की स्थापना की और कई वैष्णव धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन और संपादन स्वयं किया।
स्वामी प्रभुपाद का जन्म 1896 ईं. में भारत के कोलकाता नगर में हुआ था। इनके बचपन का नाम अभय चरण था। पिता का नाम गौर मोहन डे और माता का नाम रजनी था। इनके पिता एक कपड़ा व्यापारी थे। उनका घर उत्तरी कोलकाता में 151, हैरिसन मार्ग पर स्थित था। गौर मोहन डे ने अपने बेटे अभय चरण का पालन पोषण एक कृष्ण भक्त के रूप में किया। अभय चरण ने 1922 में अपने गुरु महाराज श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी से भेंट की। इसके ग्यारह वर्ष बाद 1933 में वे प्रयाग में उनके विधिवत दीक्षा प्राप्त शिष्य हो गए।[1]
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