(प्रातः स्मरण )
(ब्रह्मो मुहूर्ते बुध्येत धर्मार्थ चनुचिंतयेत – मनु:)
धर्मशास्त्रों ने निद्रा त्याग के उपरांत मनुष्य का पहला कर्त्तव्य उन कोटि- कोटि ब्रह्माण्ड -नायक सच्चिदानंद स्वरुप प्यारे प्रभु का स्मरण करना चाहिए जिन की असीम कृपा से अत्यंत दुर्लभ मानव देह प्राप्त हुई है, जो समस्त सृस्टि के कण -कण में ओतप्रोत है और सत्य शिव और सुन्दर है। जिनकी कृपा से मनुष्य अपने सारे भय से मुक्त होकर ” अहम् ब्रह्मास्मि ” के उच्च लक्ष्य की प्राप्ति करता है और इससे सारे दिन ही आत्मविश्वास और असीम ऊर्जा का संचार होता रहेगा और मंगलमय वातावरण में पूरा दिन व्यतीत होग।
उक्त विषय का विस्तार तो ान्हिकसत्रावली आदि दिनचर्या विधायक ग्रंथो में दृस्तव्य है। हम यहाँ विशेष योग्य एक पद्य ही उद्धृत करते है यथा :-
प्रातः स्मरामि भवभीतिमहरातिशांत्यै, नारायणं गरुणवाहमबजनाभ।।
ग्राहाभिभूतवरवाराणमुक्तिहेतुम,चक्रायुन्ध्रम तरुणवारीज -पत्र -नेत्रं।।
very nice
बहुत सुन्दर